Friday, January 29, 2010

चूहों का सभा...

चूहों का सभा………………
एक मकान में चूहों की जनसंख्या बहुत थी ओ लोग मजे से रहते थे| एक दिन उस मकान का मालिक अपने घर में बिल्ली ला दिया वह बिल्ली बड़ी भयानक लगती थी| बिल्ली को बाहर आते ही सभी चूहे अपने अपने बिलों में जा कर छिप जाते थे और बहुत डरते थे| और बिल्ली रोजाना तीन या चार चूहे खा जाती थी| यह देख सुन कर सभी चूहे अपनी सभा जुटाई उस सभा मुखिया बोला की इस बिषय में लोग अपना अपना राय दे| तो सभी अपना अपना राय दिए किसी का भी राय मन को भाया नहीं तभी एक छोटा चूहा बोला की बिल्ली के गले में एक घंटी बांध दिया जाये और वह जहाँ जायेगी हम को पता चल जायेगा| यह बात सुन कर लोग खूब खुश हुए तभी एक बूढा चूहा बोला की बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा| यह सुनकर सभी लोग शांत हो गए|
यह सच ही कहा गया है की सुझाव देना आसान है लेकिन उसको करना बहुत कठिन होता है|

नहीं होता हैं|...

एक भेड़िया बहुत ही चालक था जो एक दिन जंगल से गुजर रहा था तो उसके रास्ते में एक हाथी मरा हुआ दिखाई दिया वह उसे खाना चाहा लेकिन ओ उसके चमड़े मोटे होने के कारण वह उसे खा नहीं पाया| तब वह क्या करे सोचने लगा तभी बब्बर शेर आ रहा था भेड़िया ने तुंरत बोला कैसे हो महाराज मैं ठीक हूँ तू यहाँ पर क्या कर रहे हो कुछ नहीं महाराज मैं आप के लिए भोजन तलाश करके रखा हूँ ठीक हैं लेकिन मैं किसी के शिकार किया हुआ नहीं खाता हूँ यह तुम्ही हमारे तरफ से भेट समह कर रख लो| भेड़िया बोला भला एक से पीछा छुटा| तभी शेर आ गया तो शेर से तुंरत बोल पड़ा की नमस्ते चाचा जी कहा जा रहे हैं पहले भतीजे तुम ये बताओ की तू यहाँ क्या कर रहे हो, बस मैं बब्बर शेर का भोजन को रखा रहा हूँ बब्बर शेर बोल कर गया हैं की इसके पास कोई भी शेर ,चीता इधर – उधर भटकते दिखाई दे तो हमको बताना मैं पुरे उसके जाति को समाप्त कर दूंगा| यह सुनते शेर चाचा खिसक गए| ज्यो ही इससे पीछा छुटा तब तक एक चीता को आते देखा और सोचा की इसके दात नुकीले होते हैं और तेज भी क्यों न हम इसी से हाथी के चमड़े को फड़वा डाले , तुंरत बोला क्या भांजे इतने दिन कहा थे, बहुत दुबले पतले हो गए हो क्या करू मामा! अच्छा हम बब्बर शेर के शिकार का रखवाली कर रहा हूँ तुम आओ कुछ खा लो नहीं मामा अगर उसे पता चल गया तो अरे नहीं भांजे तुम खाओ जब शेर आयेगा तब हम चिल्ला देगे, ठीक है ज्यो ही वह हाथी के घाव किया तब तक यह चिल्ला दिया और चीता भाग गया जिससे भेड़िया के पास कई दिनों तक की भोजन हो गया था| कहा जाता है की बिना चतुराई का कोई भी काम नहीं होता हैं|

Pravin singh
Azamgarh

जंगल में शेर, गधा ..

एक जंगल में शेर, गधा और लोमड़ी में मित्रता हुई| तीनो मिलकर एक योजना बनाई कि चले शिकार करे| सभी मान गए और चल दिए| तीनो ने एक हिरन के बच्चे को दौड़ाने लगे और ओ भांगते-भांगते जब थक गया तो शेर ने उसे मार गिराया| मारने के बाद शेर ने गधा से बोला कि इसको तीन भाग में बाट दो हिरन को गधा ने तीन भागो में बराबर – बराबर बाट दिया| शेर को पसन्द नहीं आया और शेर गधा को मार डाला और मार कर उसको दो भागो में बाट दिया| और बोला कि लोमड़ी तुम अपना हिस्सा लेलो| लोमड़ी ने हिरन का चौथाई भाग काट कर लेलिया| यह देख कर शेर बड़ा खुश हुआ| और बोला तुम बड़ा चालक हो तुम हिरन का चौथाई भाग क्यों लिया| लोमड़ी ने बोला कि गधा की मुर्खता को देख कर मैं समझ गया कि ओ आप कि मन चाहा भाग नहीं बाटा इसीलिए आप ने उसे मार डाला इसीलिए मैं इतना ही लिया|

प्रवीन सिंह
आजमगढ़

एक व्यापारी

एक गाँव में एक व्यापारी रहता था| ओ हर रोज अपने गधे पर नमक लाद कर बाजार ले जाता था| बाजार जाते समय रास्ते में एक नदी पड़ती थी| एक दिन गलती से गधे की पैर नदी में फिसल गया और पानी में गिर गया| लेकिन गधा को उठाने में व्यापारी ने मदद किया जब गधा पानी से बाहर निकला तो गधा को बोझ हल्का हो गया और उसको उहीं से वापस हो गया गधा को बड़ा मजा आया| तब जब वह बाजार जाता तो वह जानबुज नदी में गिर जाता था यह देख कर व्यापारी को बात समझ में आ गई| तब वह अगले दिन गधे पर रुई के लाद दिया लेकिन गधा तो गधा ही रहेगा, वह उस दिन भी नदी में गिर गया और रुई पानी को सोख कर ओ कहीं ज्यादा ही भारी हो गया| तब गधा तो चल भी नहीं पा रहा था तब व्यापारी ने एक डंडा से गधा को लगा पीटने तब से आज तक ओ गधा कभी भी नदी के पानी में नहीं गिरा|

रमाकांत
जौनपुर

एक गाँव में..

एक गाँव में दो मित्र रहते थे| एक दिन दोनों मित्र जंगल से होकर गुजर रहे थे, और दोनों ने बोला कि अगर कोई भी मुसीबत पड़ी तो एक दुसरे की मदद करेगे, यह फैसला करके दोनों निकल गए| चलते – चलते इनको रास्ते में एक भालू मिला| भालू को देखकर एक ने पेड़ पर चढ़ गया और दुसरे को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था वह जानता था कि भालू कभी मुर्दों को नहीं खाता है वह तुरन्त जमीन पर अपनी साँस रोक कर लेट गया और भालू आया उसको सूघने लगा और उसको मरा समझ कर छोड़ कर चला गया| तो दुसरे ने उतर कर पूछा कि भालू तुम्हारे कान में क्या कहा पहला बोला कि वह मुझसे यही कहा कि दगा बाज से कभी मित्रता नहीं करनी चाहिए|

प्रवीन सिंह
आजमगढ़

रवि अपने...

रवि अपने पत्नी की गोद में लेटा हुआ था! और पत्नी ने प्यार से रवि से पूछी-
पत्नी: कैसा लग रहा है जी?
रवि : ऐसे जैसे भगवान् विष्णु शेष नाग की गोद में लेटे हों

पति और पत्नी होटल में गए तभी एक औरत ने हैल्लो किया!
पत्नी: कौन थी वो?
पति: तुम दिमाग ख़राब मत करो, मैं पहले ही परेशान हूँ कि वो भी यही पूछेगी!

शीतल (रसोई से निकलते हुए) अपने पति से : सुनिए, आजकल मैं बहुत खुबसूरत होती जा रही हूँ!
पति: तुमने कैसे जाना?
शीतल : देखो न, आजकल मेरी सुन्दरता देखकर रोटियां भी जलने लगी है!

रवि को दिन मे काटा……..

रमेश अपने भाई से : तू फेल हो या पास तुम्हें मोटरसाइकल लेकर दूंगा।
भाई : रिअली डैड।
रमेश : हां , पास हुआ तो पल्सर कॉलेज जाने के लिए और फेल हुआ तो राजदूत दूध बेचने के लिए।

एक हाथी जंगल से जा रहा था , रास्ते में 2 चीटियां मिलीं।
पहली ने कहा इसको मार डालें।
दूसरी ने कहा , नहीं यार , यह ठीक नहीं। दुनिया वाले कहेंगे कि 2 ने मिलकर एक को मार डाला।

एक मच्छर ने रवि को दिन मे काटा।
रवि ने पूछा तुम तो रात में काटते हो , फिर मेरे साथ ऐसा क्यों किया।
मच्छर बोला , आजकल घर की हालत ठीक नहीं चल रही इसलिए ओवरटाइम करना पड़ता है।

एक आतंकवादी...

एक आतंकवादी किसी मंदिर में बम सेट कर रहा था ,
तभी उस मंदिर का देवता ,आदमी का रूप पकड़ कर आया |
और पूछा – बेटा अगर सेट करते हुए बम फुट गया तो क्या होगा ,
आतंकवादी बोला – मेरे पास दूसरा बम भी है |

रमा - हमने मोबाईल मैरिज़ ब्यूरो सुरु किया है

” रिश्ते के लिए १ दाबे , मगनी के लिए २ दाबे ,और सादी के लिए ३ दाबे “
आशीष – दूसरी सादी के लिए क्या दबाऊ ,
रमा – दूसरी सादी के लिए पहली बीबी का गला दाब दो |

चंटू ने मंटू से पूछा – मनमोहन सिंह ने ममता बेनर्जी को कौन सा पद दिया |
मंटू बोला – सार्ट में या लांग में बताऊ |
चंटू ने कहा – शार्ट में
मंटू बोला – रेल दिया ||

लेडीज डॉ (आशीष ) से – रोज तुम अस्पताल के बहार खड़े होकर , औरंतो को क्यों घूरते हो |
आशीष (लेडीज डॉ) से – मैडम , अस्पताल के सामने ही तो लिखा है कि , औरंतो को देखने का समय -
९ बजे से ११ बजे तक है |

पति पत्नी में लड़ाई हुई। पति ने आत्महत्या करने की सोच कर बाजार से जहर लाकर खा लिया। वो मरे नहीं बीमार हो गए।

पत्नी (गुस्से में बोली) – सौ बार कहा है कि चीजें देखकर खरीदा करो पैसा भी गए और जिस काम के लिए लाए वो भी नहीं हुआ।

अध्यापक – लड़के से पूछा ; तुम्हे सबसे अच्छी आवाज किसकी लगती है ?
लड़को की तरफ से जोर से आवाज आयी- सर , छुट्टी की घंटे की

एक ही दिन कुत्ता और पत्नी दोनों के बीमार होने पर रमेश दोनों के लिए दवा खरीदने गया

,बीमारी बताने के बाद दुकानदार ने दवा दी। दुकानदार

(रमेश से)- ये लीजिए दोनों की दवा। रमेश

(दुकानदार से)- दवाइयों को अलग-अलग लिफाफे में रखकर लिख दो की कौन सी मेरी पत्नी की दवा है और कौन सी कुत्ते की। मैं नहीं चाहता दवाई बदल जाए और मेरे कुत्ते को कुछ हो जाए।

Tuesday, January 26, 2010

सिक्कों के पहाड़ पर ही...

सिक्कों के पहाड़ पर ही
उम्मीदों की बस्ती बसी दिखती है,
पर वह तो धातु से बने हैं
जिनकी ताकत कितनी भी हो
सच पर खरे नहीं उतरते
बैठे हैं वहां तंगदिल लोग
अपने घर बसाकर
जिनकी कलम वहां रखी हर पाई
बस, अपने ही खाते में लिखती है।
———-
नाव के तारणहार खुद नहीं
उस पर चढ़े हैं,
क्योंकि दिल उनके छोटे
नीयत में ख्याल खोटे
पर उनके चरण बड़े हैं।
उड़ने के लिये उन्होंने
विमान जुटा लिये हैं
गरीब की कमाई के सिक्के
अमीर बनाने में लुटा दिये हैं
नदिया में डूब जाये नाव तो
हमदर्दी बेचने के लिये भी वह खड़े हैंकवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com

बीस के...

बीस के शेरपचास में ढ़ेरजीतते हैं तो फुलाते सीनाहारें तो कहें’समय का फेर’समझाया था क्यों करते होपचास का आयोजनजब है बीस का भोजनक्रिकेट कोई दाल होता तोपानी मिलाकर चला लेतेकुछ खा लेते तोबाकी भूखे रह जाते माला फेरबीस ओवर के खेल परबहुत खुश हुए थे किदुनिया में जीते अपने शेरपचास ओवर के खेल मेंकंगारुओं की फुर्ती से हुए ढ़ेर
कहैं दीपक बापूलोग पूछ रहें हैं‘वह मधुर सपना था याखडा है सामने यह कटु सत्य’दिन भर पूछने लगे हैं फिर स्कोरचर्चा करते हैं क्रिकेट कीसांझ हो या भोरचौबीस साल पुरानी कहानीफिर सामने आ रही हैजब विश्व विजेता हुए थेइसी तरह ढ़ेरअब इस कहानी परअगले चौबीस महीने तक भीनहीं चलेगा खेलकाठ की हांडी बार-बार नहीं चढतीछोटी जीत पर बड़ी हर नहीं फबतीबीस का नोट पचास में नहीं चलेगाकितना भी नया हो बीस का ही रहेगापोल खुल जायेगी देर-सबेर

दौलत बनाने निकले...

दौलत बनाने निकले बुत
भला क्या ईमान का रास्ता दिखायेंगे।
अमीरी का रास्ता
गरीबों के जज़्बातों के ऊपर से ही
होकर गुजरता है
जो भी राही निकलेगा
उसके पांव तले नीचे कुचले जायेंगे।
———–
उस रौशनी को देखकर
अंधे होकर शैतानों के गीत मत गाओ।
उसके पीछे अंधेरे में
कई सिसकियां कैद हैं
जिनके आंसुओं से महलों के चिराग रौशन हैं
उनको देखकर रो दोगे तुम भी
बेअक्ली में फंस सकते हो वहां
भले ही अभी मुस्कराओ। कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com

(special hinti article on gandhi jayanti)

महात्मा गांधी के दर्शन की प्रासंगिकता आज भी है। इसमें संदेह नहीं है। अगर कहें आज अधिक है तो भी कोई बुरा नहीं है। पूरे विश्व में महात्मा गांधी को अहिंसा के पुजारी के रूप में याद किया जाता है या कहें कराया जाता है पर उस पर चलना कौन चाहता है।पूरे विश्व में हिंसा का दौर बढ़ता जा रहा और जितना यह बढ़ेगा उतनी ही बढ़ेगी गांधी जी की अहिंसा सिद्धांत की प्रासंगिकता। महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाई यह कहना कुछ अतिश्योक्ति मानते हैं तो कुछ लोग महात्मा गांधी को अप्रासंगिक सिद्ध करने के लिये हिंसा का समर्थन भी करते हैं। मगर यह दोनों ही प्रकार के लोग घूमते उसी आजादी के आंदोलन के घेरे में ही हैं जिसका शीर्षक महात्मा गांधी के नाम से लिखा जाता है। इसी आंदोलन के कुछ नेताओं और शहीदों के नाम से कुछ अन्य लोग विचारधारायें चला रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि वह भारत की आयु साठ वर्ष की ही मानते हैं और उनके लिये भारतीय भाषाओं और संस्कृति की आयु भी इतनी ही हैं। इतना ही नहीं भारतीय अध्यात्म ज्ञान तो उनके लिये पुराना पड़ चुका है और उसका अब कोई महत्व नहीं है।अगर सही आंकलन करें तो आज के समाज में गरीबी, भ्रष्टाचार, भय, और अपराध के विरुद्ध चलने वाले आंदोलनों को इसी अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिये क्योंकि महात्मा गांधी आज के लोकतांत्रिक समाज में राज्य का विरोध करने के लिये हिंसा के पुराने तरीके हिंसक तख्ता पलट की जगह इसे सही मानते थे। आपने इतिहास में देखा होगा कि अनेक प्रकार के राजा जनता की नाराजगी के कारण हिंसा का शिकार हुए या उनका तख्ता पल्टा गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय का अवलोकन करें तो उस समय कार्लमाक्र्स का प्रभाव बढ़ रहा था और उसके चेले व्यवस्था का बदलाव हिंसा के सहारे कर रहे थे जबकि लगभग उसी समय महात्मा गांधी ने आंदोलनों को अहिंसा का मार्ग दिखाया। यही पश्चिम के गोरे लोग चाहते थे पर अंततः उनको भी यह देश छोड़ना पड़ा पर वह छोड़ते हुए इस देश में हिंसा का ऐसा इतिहास छोड़ गये जिससे आज तक यहां के निवासी भुगत रहे है।मूल बात यही है कि महात्मा गांधी आधुनिक समाज के संघर्षों में हिंसक की बजाय अहिंसक आंदोलन के प्रणेता थे। उनकी याद भले ही सब करते हों पर हथियारों के पश्चिमी सौदागर और विचारों के पूर्वी विक्रेता उनसे खौफ खाते हैं। गनीमत है पश्चिम वाले एक दिन महात्मा को याद कर अपने पाप का प्रायश्चित करते हैं पर पूर्व के लोग तो हिंसावाद को ही समाज में परिवर्तन का मार्ग मानते हैं। यहां यह भी बता दें कि महात्मा गांधी राज्य चलाने के किसी सिद्धांत के प्रवर्तक नहीं थे क्योंकि उसके लिये आपको सत्ता की राजनीति करनी पड़ती है जिसका आंदोलन की राजनीति से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं होता। इसलिये ही सारी दुनियां की सरकारें महात्मा गांधी को याद करती है ताकि उनके विरुद्ध चलने वाले आंदोलन हिंसक न हों।यह देश हजारों वर्ष पुराना है। भारतीय अध्यात्मिक ज्ञान तो जीवन जीने की ऐसी कला सिखाता है कि पूर्व और पश्चिम दोनों ही उसे नहीं जानते पर अपने ही देश के लोग उसे भूल रहे हैं। दक्षिण एशिया जहां एक नहीं बल्कि तीन तीन अहिंसा के पूजारी और प्रवर्तक हुए वहां हिंसा का ऐसा बोलबाला है जिसकी चर्चा पूरे विश्व में हैं। पाकिस्तान के कबाइली इलाके हों या हमारे पूर्वी हिस्से। धार्मिक और राजनीतिक क्रूर सिद्धांतों की जकड़ में हैं। एक बात यकीनी तौर से मानिए कि आज के संदर्भ में कोई भी आंदोलन गरीबों और शोषकों के नाम पर सफल होता है पर किसी का भला हो यह नहीं दिखता। हकीकत तो यह है कि इन आंदोलनों को पैसा भी मिलता है। अब यह पैसा कौन देता है यह अलग से चर्चा का विषय है। इसी पैसे के लिये व्यसायिक आंदोलनकारी किसी विचाराधारा या नारे को गढ़ लेते हैं। अगर वह हिंसा का समर्थन न करें तो शायद उनको वह पैसा न मिले। साफ बात कहें तो इन हिंसक आंदोलनों की आड़ में पैसा देने वाले कुछ न कुछ आर्थिक लाभ उठाते हैं। ऐसे में उनके लिये गांधी का अहिंसा सिद्धांत का धोखे की टट्टी है। तब भी वह अधिक दूर नहीं जाते। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शहीद हुए गरमपंथी महापुरुषों की तस्वीरें लगाकर उनका प्रचार करते हैं। साथ ही गांधी जी की आलोचना करने से उनको कोई गुरेज नहीं है।सबसे बड़ी बात यह है कि इस देश का इतिहास साठ साल पुराना नहीं है। अब एक दूसरी बात यह है कि हम आजादी की बात करते हैं पर आज जब उस आजादी पर चर्चा होती है तो अनेक प्रकार के सवाल भी आते हैं। आखिर गांधी जी किससे आजादी चाहते थे? केवल गोरी चमड़ी से या उनके राज्य से। याद रखिये आज भी इस देश में अंग्रेजों के बनाये हुए कानून चल रहे हैं। इनमें से तो कई ऐसे हैं जो इस समाज को निंयत्रित करने के लिये यहीं के लोगों ने उनको सुझाये होंगे। इनमें एक वैश्यावृत्ति कानून भी है जिसे लोग हटाने की मांग करते हैं। दूसरा जूआ का भी कानून है। कुछ लोग कहते हैं कि यह रोकना सरकार का काम नहीं है बल्कि यह समाज का स्वयं का दायित्व है। कहने का मतलब है कि लोग यही मानते हैं कि समाज स्वयं पर नियंत्रण करे न करे तो वही दायी है। जो आदमी व्यसन या बुरा काम करता है तो अपनी हानि करता हैै। हां जहां वह दूसरे की हानि करता है तो बहुत सारे कानून है जो लगाये जा सकते हैं। लोग तो सतीप्रथा वाले कानून पर सवाल उठाते हैं और पूछते हैं कि उस समय या उससे पहले कितनी स्त्रियां इस देश में सती होती थीं। जिनको होना है तो अब भी इक्का दुक्का तो अब भी घटनायें होती है। वैसे ही अगर किसी स्त्री को जबरन सती कर दिया जाता है तो हत्या का अपराध या वह स्वयं होने के लिये तत्पर होती है तो आत्महत्या का कानून उस पर लग सकता है तब सती प्रथा रोकने के लिये अलग से कानून की जरूरत क्या थी?सीधा मतलब यह है कि अंग्रेज चले गये पर अंग्रेजियत छोड़ गये। वह भी इसलिये कि महात्मा गांधी यहां प्रासगिक नहीं रहें। वैसे भी अपने देश में उनको किस प्रसंग में याद किया जाये? हां, इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज के युग में अपनी अभिव्यक्ति या आंदोलन के लिये उनका सिद्धांत अति प्रासंगिक हैं। उनको इसलिये नमन करने का मन करता है।

Monday, January 25, 2010

KYUN AKELA CHOD DIYA

KYUN AKELA CHOD DIYA…।Kyu rulaate ho mujhe ?Kyu bhool jaate ho mujhe?Tere he sahaare to jee rahe hain hum॥To phir kyu akela chodh jaate ho ?Har baat ko chupana ataa hai tumko,Roothon ko manana ataa hai mujhe।Roothe ho tum na jaane kis baat par mujh se…To phir wo baat kyu nahi bataate ho tum mujhe?

pecial Friend मेंस...

pecial Friend मेंस

S= So कूल

P= पेर्सोनाब्ले

E= एक्स्सितिंग

C= Cheers me उप

I= इन्तेल्लिगेंत

A= अदोराब्ले

L= लोविंग

F= फुन्य

R= रेलिअब्ले

I= Incredible हुमौरुस

E= Enjoyable।

N= नीचे

D= देपेंदाब्ले

S= Simple this is for you

Kuch toh majbooriyaan रही...

Kuch toh majbooriyaan rahi hongiYun koi bewafa nahi hotaJee bohat chahta hain sach bolenKya karen hausla nahi hotaApna dil bhi tatol kar dekhoFaasla bewajha nahi hotaEk imarat lab-e-jamuna wohi andaaz-o-adaaMoghuliya daur ki ghammaaz nazar aati haiJab bhi mahtaab ki halki si kiran padti haiTaj ki shakl mein mumtaz nazar aati haiRaath teri nahi, raath meri nahiJisne aankhon mein kaati wohi payegaKoi kuch bhi kahay, aur mein chup rahoonYe saleeqa mujhe jaane kab ayegaChaand jaisa badan, phool sa pairahanJaane kitne dilon pe ghazab dhayegaAajkal tum qayamat se kuch kamm nahiJo bhi dekhega deewana hojayegaLekin jaan-e-mannToo kisi aur ki jaagir hai aye jaan-e-ghazalLog toofan uthadenge, mere saath na chal

1 ladka or 1 ladki

1 ladka or 1 ladki car maikhamoshi se jaa rahe hota hai.Ladki 1 letter ladke ko deti hai .ladka letter padhne se pehle hiladki se kehta hai kmujhe ab tumse pyar nahi haiaur mai tumhe chod raha hu .Ek dam se 1 tez raftar car unkicar se takra jatihai per ladka bach jata hai aurladki wahi mar jati hai.Phir ladka wo letter kholth hai touski aankhon se ansu us paperpe girta hai .Us pe likha था
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.॥"jis din tumne mujhe chhod dogemain mar jaungi ......

Saturday, January 23, 2010

अजब प्रेम की गजब कहानी

सेंसर सर्टिफिकट : यू /

कलाकार : रणबीर , कटरीना
डायरेक्टर : राज कुमार संतोषी
अवधि : 151 मिनट
रेटिंगः /photo.cms?msid=5205719

फिल्म की लीड जोड़ी प्रेम शंकर शर्मा ( रणबीर कपूर ) और जैनी ( कटरीना कैफ ) की इस अनोखी प्रेम कहानी का तानाबाना ऐसा रचा गया है कि पूरी फिल्म एक ट्रैक पर समान रफ्तार से दौड़ती है। दरअसल , आज भी बड़े शहरों में आपको ऐसी युवा पीढ़ी मिलेगी जो अपने सपनों की दुनिया में जीने की चाह में सच और वास्तविकता से दूर रहना ज्यादा पसंद करते है। कुछ ऐसा ही हाल प्रेम का भी है , जिसने अपने इन्हीं सपनों को साकार रूप देने की चाह में अपने चंद फटेहाल दोस्तों के साथ हैपी क्लब बना रखा है।

क्लब का सीधा साधा फंडा है कल के लिए सॉरी नहीं , फ्यूचर की वरी नहीं , आज हैपी रहने का नौंवी क्लास में फेल होने के बाद प्रेम अब अपने दोस्तों के साथ इसी क्लब की मेंबर शिप बढ़ाने में लगा है।

प्रेम के इस क्लब का बैक बैलंस जीरो पर है और डैडी ( दर्शन जरीवाला ) को यही चिंता सताए जा रही है कि सपनों की हसीन दुनिया में रहने वाले प्रेम को दुनियादारी की समझ कब आएगी। इसी बीच प्रेम अपने मोहल्ले के एक खाली पड़े वीरान फ्लैट को कमिशन की चाह में जैनी की फैमिली को किराए पर दिलाता है। प्रेम पहली नजर में जैनी पर दिल हार चुका है। मां की मौत के बाद जैनी के डैडी ने दूसरी शादी कर ली और अब सौतेली मां के तानों से तंग जैनी प्रेम को अपना दोस्त समझने लगती है और वहीं प्रेम दिल ही दिल उसे चाहने लगता है। प्रेम का यह सपना उस वक्त टूटता है जब जैनी उसे अपने प्रेमी ( उपेन पटेल ) से मिलवाती है।

मूवीः तुम मिले

मूवीः तुम मिले
कलाकार : : सोहा , इमरान , मंत्रा
डायरेक्टर : कुणाल देशमुख
अवधि : 128 मिनट
सेंसर सर्टिफिकट : यू / ए

कई साल पहले मुसलाधार वारिश (२००५) में हुई थी उसी थीम को लेकर कुणाल देशमुख ने ‘तुम मिले’ फिल्म बनाई है आमतौर से इस विषय पर फिल्म बनाने में एक्सपर्ट महेश भट्ट साहब मुंबई में कहर बरसाती बारिश को बॉक्स ऑफिस पर कैच करने में भला पीछे क्यों रह गए? इस फिल्म में अक्षय (इमरान हाशमी) द्वारा प्रेमिका संजना (सोहा अली खान) ७०% फिल्म में इन दोनों का लव स्टोरी और बाकि में बारिश से बच कर भागते हुए| एह फिल्म का शुरुवात अक्षय और संजना से होती है अक्षय साउथ अफ्रीका के कैप टाउन शहर में पेंटिंग सीखने में लगा है तो संजना अमीर पिता की दौलत पर ऐश करने की बजाय अपने दम पर पहचान बनाने में लगी है। संजना को कायमाबी मिल जाती है वहीँ अक्षय को पीछे रह जाता है जिससे उन दोनों में तनाव के कारण दुरिया बढ जाती है| जब ये दोनों मुंबई आते है तो दोनों हवाई अड्डे पर मिलते है उसी दिन ऐसी बारिश शुरू होती है जो थमने का नाम ही नहीं ले रही है। यह इमरान का दूसरा चान्स था फिल्म में पेंटर बनने का|

रॉकेट सिंह – सेल्समैन ऑफ द इयर

मूवी : रॉकेट सिंह – सेल्समैन ऑफ द इयर
कलाकार : रणबीर , शाहजहां , प्रेम चोपड़ा
निर्माता : आदित्य चोपड़ा
स्क्रिप्ट , डायरेक्टर : शमित अमीन
सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए
अवधि : 151 मिनट

इस फिल्म में रणबीर कपूर (हरिप्रीत सिंह उर्फ़ पाकेट सिंह) एक जानी मानी कम्पनी में सेल्समैन पंद्रह हजार रुपये महीने की जाँब करहा था वह आँफिस में मेहनत और लगन से काम सीखने की ललक और हर मोड़ पर सिर्फ सच बोलने की आदत उसकी सबसे बड़ी मुश्किल बन गई। एक दिन आफिस के बाँस और उसके दोस्त ने रॉकेट सिंह का सेल्स कॉरपोरेशन नाम की ऐसी कंपनी शुरू करता है जिसकी प्लानिंग चाय की दुकान पर होती है। हरप्रीत अब अपनी उसी कंपनी में काम करने वाले चंद अपने जैसे काबिल लेकिन बॉस की नजरों में मिस फिट रहने वाले सहयोगियों को साथ मिलाकर हरप्रीत अपनी कंपनी शुरू करता है जिसमें कोई बॉस नहीं बल्कि सभी पार्टनर है। चूंकि पूरी फिल्म सेल्समैन के आसपास टिकी है , ऐसे में इसमें रोमांस वगैरह की कहीं गुंजाइश ना होने से गीत संगीत में फिल्म का यह कमजोर पक्ष है। टाइटिल सांग पॉकेट में रॉकेट , और हड़बड़ी दो गाने है जिन्हें बस किसी तरह स्क्रिप्ट में फिट किया गया है। हां , रणवीर कपूर और प्रेम चोपड़ा के बीच के पापा बेटे की केमिस्ट्री गजब है। लेकिन एंटरटेनमेंट , रोमांस और एक्शन के शौकीनों के लिए फिल्म में कुछ नहीं।

इतना बड़ा साला हरामी है

मेरे स्कूल का प्रिंसपल
मेरे स्कूल का प्रिंसपल बहुत बड़ा कमीना है , साला लड़को को बिना वजय के परेशान करता रहता है | इतना बड़ा साला हरामी है कि बच्चो को गलिया बकता है और हमेशा कहता है यह शुल्क लगा है तुम लोग पैसे जमा करो ,और जो स्कूल में खेलने वाली चीज आती है| उसे खेलने के लिए नहीं देता लाक करके रखता है | साला हरामी बच्चो को पिटता भी बहुत है ,मन तो करता है साले को मिल कर खूब पीटा जाय कुत्ता साला हरामी बच्चो को मरता है |मै साले कि एक दिन माँ बहन एक कर दूगां |

टीचर और छात्रा

मेरे मुहल्ले की यह एक सच्ची कहानी है | एक टीचर मुहल्ले के आंटी के यहा कोचिंग पढाने के लिये आता था | आंटी की एक खुबसुरत बेटी थी | टीचर उसकी बेटी को पढाता था | पर वह पढ़ने में कमजोर(विक) थी | टीचर उसे डेली पढाता और मारता था |
कुछ दिन बाद टीचर की निगाहे डगमगा गयी | और वह बुरी निगाह से उसे देखने लगा | फिर टीचर ने उससे कहा……. और कुछ गलत हरकते करने लगा | ओ डर के मारे वह किसी से कुछ नही कहती थी | कुछ दिन बाद जब किसी तरह उसके घर वालो को मालूम हुआ | तो उसके घर वाले ने टीचर की खूब पिटाई की | और उसे पुलिस के हवाले कर दिए | साले एसे लोग है | जो की टीचर नाम को बदनाम कर रहे है | और कुछ लोग इसी वजह से अपने बेटियो को कोचिंग पढाने के लिये मना भी करते है |

मोहब्बत के भी कुछ अंदाज होते है ,


कितनी मुश्किल से कटी कल की मेरी रात न पुछ
दिल से निकली हुई होटों में दबी न पूछ
वो किस अदा से मेरे जज़्बात न पुछ
वक़त जो बदले तो इंसान बदल जाते हैं
क्या नहीं दिखलाते यह गर्दिश -इ- हालात न पूछ
वो किसी का हो भी गया और मुझे खबर न हुई
किस तरह पल में मुझे बेगाना कर दिया
उसने किस तरह अपनों से खाई है मैने मात न पूछ
अब तेरा प्यार नहीं है तो सनम कुछ भी नहीं
कितनी मुसकिल से बनी थी दिल की काएनात न पूछ



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आज रात पर नूर है …
क्योंकि चाँद पर उसको गरूर है …
हम किस पर गरूर करे …
हमारा चाँद ही हमसे दूर है .
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मोहब्बत के भी कुछ अंदाज होते है ,
जागती आँखों में भी कुछ ख्वाब होते है …
जरुरी नहीं की गम में ही आंसू निकाले…
मुस्कराती आँखों में भी सैलाब होते है .
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उन्होंने देखा और आसू गिर पड़े ,
भारी बरसात में जैसे फल गिर पड़े ,
दुःख ये नहीं कि उन्होंने हमें अलविदा कहा ,
दुःख तो ये है कि उसके बाद वो खुद भी रो पड़े |
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इन उदास मुस्कराहटों के पीछे ,
दुम के रेले है ,ये तुम्हे क्या बताये ,
कि तुम बिन हम कितने अकेले है |
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आहों में तेरी खोया था मैं ,
तेरी जुल्फों के निचे सोया था मै ,
नींद खुली तब जब तेरे सपनों में ,
खोया था मैं |

मेरा सब कुछ लूट लिया

मेरा नाम अतुल हैं ,मै एक लड़की को बहुत चाहता हूँ ,और वह भी मुझे बहुत चाहती थी लेकिन अब वह हमसे बात भी नहीं करती बत्तमीज जब तक मै उसके लिए पैसे उडाये तब तक तो मुझे बहुत चाहती थी ,और जब हमे बर्बाद कर दिया हरामी मुझसे बात भी नहीं करती ,दुष्ट हरामी जी करता है ! साली का गला घोट दू मेरा सब कुछ लूट लिया ,मेरी सारी कमाई खा गई और हमें भुला दिया बत्तमीज हरामी बहुत बड़ी कु… है पैसे के लिए सब कुछ करती है अब साली किसी और लडके को फसा रखी है ,मुझे जिस दिन मिल गई उस दिन तो साली को इतना पीटूगा कि उसे भी याद रहेगा कि किसी के साथ ऐसा नहीं किया जाता हैं |साली हरामी तू याद रख जिस दिन मुझे मिली उस दिन तुम्हारा क्या हर्ष करुगा तुम याद करोगी |

छुप-छुप के मिलने चल दिए हम

अमावस की रात और खूब गहरा तम
छुप-छुप के मिलने चल दिए हम
बारिश कि रिमझिम और कुछ हियाँ काँप था
कुछ पास से जो गुजरा तो हम समझे साँप था
बिजली जो कड़की और मुड़ कर जो देखा
छ्ड़ी लिए घूम रहा लड़की का बाप था!!

प्यार का नाटक रचाकर

गरीबी से तंग आकर
प्यार का नाटक रचाकर
गाँव के एक नवयुवक ने
गाँव से एक लड़की भगाई
वह स्वभाव से थी रसमलाई
उसे बेचने वह ले गया दिल्ली
रास्ते में दरोगा जी टकराए
वे दोनों सकपकाए,पाँव पकड़ गिड़गिडाये
दरोगा ने उनकी एक न सुनी उल्टे कहा-
तुम साले ऐसे काम करते हो
ऊपर वाले से नही डरते हो
ना जाने किस बहाने उन दोनों को ले गए थाने
लड़की को थाने में रोककर भगा दिया लड़के को मारपीटकर
अगले दिन चटपटी खबर सुनकर सारा मुहल्ला जाग गया
जब लड़की को लेकर दरोगा भाग गया!!



एक थे जनाब रोज लिखा करते थे
अपनी महजबी को ख़त,
और सबके परदे में लिखा करते
अपनी परदानशीन को ख़त
डाकिया रोज दे आता था उस परदानशीन
को ख़त!
सिलसिला कुछ यूँ चला और बढ़ गई बात,
कि वो परदानशीन
जिस पर मरा करते थे जनाब
भाग गई उस डाकिये के साथ!!

ये पत्नी के पूज्य पिताजी कैसे तुमको लिखूं नमस्ते

हे पत्नी के पूज्य पिताजी कैसे तुमको लिखूं नमस्ते
उल्टा सीधा किया आपने मुझको अच्छा उल्लू फाँसा
कह सोने चाँदी के बर्तन दे डाला सब पीतल काँसा
सिक्के जितने दिए दान में एक-२ सब निकले खोटे
रजत थाल फौलादी निकली अलमुनियम के निकले लोटे
घडी पुराने आदम युग की दिनभर जो चाभी ही खाती
जिसे देखकर बिना बताये

न जाने क्या खता हुई हमसे

तनहा छोड़ के चल दिए जाने क्यूँ ,
दिल के तुकडे हजार किये जाने क्यूँ
न जाने क्या खता हुई हमसे
दिया प्यार का ये सिला जाने क्यूँ ,
नादान दिल मदहोश हुआ नशा ये प्यार में ,
कुछ होश ना रहा जाने क्यूँ ,
सारे चिताएं जला दी अरमानो कि ,
पर तस्वीर दिल से ना मिटा पाए जाने क्यूँ ,
तुकडे-तुकडे हुए सपने मेरे सारे ,
अश्क ना बहा पाए जाने क्यूँ ,
यादों के सारे चिराग बुझा दिए हमने ,
फिर भी भुला ना पाए उसे जाने क्यूँ ,
अब भी है इंतजार उनके लौट आने का ,
दिल के किसी कोने में बसी है आस जाने क्यूँ

Friday, January 15, 2010

Gungunati hain yeh hawayein

Gungunati hain yeh hawayein
Gunuunata hai gagan
Gaa raha hai yeh sara aalam

Zoobi do.PAram Pum

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan

Shaakhon pe pattey gaa rahe hain
Phoolon pe bhawre gaa rahe
Deewani kirnein gaa rahi hain
Yeh panchhi gaa rahe

Bagiya mein do
Phoolon ki
Ho rahi hai guftgu
Jaisa filmon mein

Hota hai

Ho raha hai
Hu bahoo

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi doobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi doobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan

Rimjhim rimjhim rimjhim
San san san san
Hwaaa
Tip tip tip tip
Boondein
Gurrati bijliyaan
Bheegi Bheegi Saare mein
Yun thumke lagati tu
Jaisa filmon mein hota hai
Ho raha hai hu bahoo

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi doobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi doobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan

Amber ka chand
Zameen par
Itra ke gaa raha
Ek tim tim toota tara
Ithla ke gaa raha
Hai raat akelin tanha
Mujhe choo le aake
Tu

Jaisa filmo mein hota hai
Ho raha hai hu bahoo

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi doobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan

Zoobi doobi zoobi doobi pum para
Zoobi doobi param pum
Zoobi doobi zoobi doobi naache
Kyun pagal stupid maan



Jaane nahin denge tujhe

Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin
Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin

Chahe tujhko rab bulaa le
Hum na rab se darne waale
Raahon mein dat ke
Khade hain hum Yaaron se nazrein Chura le
Chahe jitna dum laage le

Jaane na tujhko aise denge hum

Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin
Do kadam ka yeh safar hai
Umr chhoti si dagar hai
Ek kadam mein ladkhadaya
Kyon
Sunn le yaaron ki yeh baatein
Beetengi sab gum ki raatin
Yaaron se rootha hai saaale
Kyunn

Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin
Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin

Maa ne khat mein kya likhaa
Tha
Jiye tu jug jug yeh kahaa tha
Chaar pal bhi jee na paaye tu
Yaaron se nazrein milaa le
Ek baar tu muskura de
uth ja saale yun sataaata hai
Kyonn

Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin
Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin
Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin
Jaane nahin denge tujhe
Jaane tujhe denge nahin

Saturday, January 9, 2010

Kitni dhoom

Kitni dhoom machayi aur kitni chotein khayiBaith gaya, jo lekha zokha aankein bhar bhar aayiRishton ke sab bandhan tode sab kuch piche chodaPhir bhi shayad saath rehegi dost aapke yaadon ki parchayi
__________________

Jab tak

Jab tak chinda rahegi dil mein hum dard apna chhupaengeBhul na paayenge inhe jab tak hum maut ko gale na lagayenge

...?

kitna muskarovoge.. ..?dard chupaake..ek baar to rona hee hi jee bar ke..!! . Nags

Muskurake हम

Muskurake hum apna dard chipate hainHum wade-e-wafayee taumr nibhate hainPar humpe aaj na hai kisi apne ko aetbaarAaj humein sab begaana batate hain
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Dost ..

adaat hai humko muskooranay kiadaat hai tumko dost bananay kihanstay hanstay baat banti haidosti hai jindadili dosti nibhanay ki

Sabko dost banane ki adat hai hume

Sabko dost banane ki adat hai hume,Apni alag pehchaan banane ki aadat hai hume,Kitna bhi gehra zakhm de koi,Utna hi zyada muskurane ki aadat hai hume..
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tumsa pyara dost

hasna hamara kisiko gawara nahi होता
har musafir zindagi ka sahara nahi होता
milte he bahot log is tanha zindagi में
par koi dost tumsa pyara nahi होता

dosti

dil todna hamari adat nahidil hum kisika dukhate नहीं bharosa rakhna hamari dosti pedost bankar hum kisiko bhulate नहीं...